सिक्के का दूसरा पहलू: जोखिम
लेकिन रुकिए, हर कहानी की तरह यहाँ भी एक 'किंतु, परंतु' है। यह निवेश की थीसिस बिना जोखिम के नहीं है। अगर कंसोल की कीमतें इतनी बढ़ जाएं कि लोग गेमिंग पर कुल खर्च ही कम कर दें, तो सॉफ्टवेयर कंपनियों को भी नुकसान होगा। आर्थिक दबाव सिर्फ हार्डवेयर पर ही नहीं, बल्कि गेम्स और डिजिटल कंटेंट पर होने वाले खर्च पर भी असर डाल सकता है। दूसरा जोखिम है गलाकाट प्रतिस्पर्धा। गेमिंग की दुनिया में सफल होने के लिए लगातार नए और आकर्षक गेम्स बनाने पड़ते हैं। हर कंपनी इस बदलाव का बराबर फायदा उठाएगी, यह ज़रूरी नहीं है। साथ ही, दुनिया भर की सरकारें इन-गेम खरीदारी और कमाई के तरीकों पर नज़र रख रही हैं, जो भविष्य में कुछ कंपनियों के रेवेन्यू मॉडल को प्रभावित कर सकता है।
कुल मिलाकर, Nintendo का फैसला सिर्फ एक कंपनी का फैसला नहीं है, बल्कि यह पूरी गेमिंग इंडस्ट्री की आर्थिक हकीकत को दर्शाता है। यह सॉफ्टवेयर की ओर झुकाव कोई अस्थायी लहर नहीं, बल्कि एक लंबा चलने वाला बदलाव हो सकता है। निवेशकों के लिए, यह उस बदलाव से पहले अपनी स्थिति बनाने का एक अवसर हो सकता है। जहाँ हार्डवेयर कंपनियाँ लागत के दबाव से जूझ रही हैं, वहीं सॉफ्टवेयर कंपनियाँ गेमिंग के प्रति लोगों के जुनून का असली फायदा उठाने वाली खिलाड़ी बनकर उभर सकती हैं। अब देखना यह है कि इस खेल में कौन सा खिलाड़ी सही दांव लगाता है।