बोरिंग लेकिन भरोसेमंद कमाई का जादू
मुझे हमेशा से "कुदाल और फावड़े" वाली रणनीति पसंद आई है. जब सोने की होड़ मची हो, तो यह अनुमान लगाना मूर्खता है कि किसे सोना मिलेगा. समझदारी इसी में है कि आप उन सभी उम्मीद लगाए खनिकों को औजार बेचें. हमारे इस डिजिटल युग में, ये कुदाल और फावड़े वो सॉफ्टवेयर, क्लाउड सेवाएँ और पेमेंट नेटवर्क हैं जिनके बिना आज कोई भी व्यवसाय चल ही नहीं सकता. माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी के बारे में सोचिए. आम जनता को तो गेमिंग कंसोल दिखता है, लेकिन कंपनी का असली इंजन क्लाउड सेवाओं और ऑफिस सब्सक्रिप्शन से आने वाला लगातार राजस्व है, जिसके लिए कंपनियाँ हर महीने, साल दर साल भुगतान करती हैं.
एक निवेशक के लिए यह सब्सक्रिप्शन मॉडल किसी खूबसूरत सपने जैसा है. यह एक बार के सौदे को एक लंबे रिश्ते में बदल देता है. यह ठीक वैसा ही है जैसे एक कार बेचने और उसे जीवन भर के लिए फुल सर्विस कॉन्ट्रैक्ट के साथ लीज पर देने में फर्क होता है. जब कोई कंपनी सेल्सफोर्स जैसे प्लेटफॉर्म पर अपना पूरा कामकाज बना लेती है, तो वह सिर्फ एक ग्राहक नहीं रहती, बल्कि एक किरायेदार बन जाती है. और उस किराए का चेक हर महीने एक सुकून देने वाली नियमितता के साथ आता है, जो एक स्थिर नकदी प्रवाह बनाता है.