इस खेल के बड़े खिलाड़ी
इस नई बिसात पर कुछ खिलाड़ी बहुत अहम हो गए हैं। इंटेल की कहानी तो और भी मज़ेदार है। कुछ साल पहले तक जिसे सबने दौड़ से बाहर मान लिया था, आज वही अमेरिकी सरकार की चिप योजनाओं का सबसे बड़ा चेहरा बना बैठा है। कंपनी द्वारा अमेरिका में नए प्लांट बनाने पर किया जा रहा भारी निवेश सीधे तौर पर सरकारी प्राथमिकताओं से मेल खाता है। यह सिर्फ सरकारी मदद की बात नहीं है, यह अमेरिका की तकनीकी आत्मनिर्भरता का आधार बनने की एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है।
वहीं, ताइवान सेमीकंडक्टर यानी टीएसएमसी की स्थिति बड़ी अजीब है। है तो विदेशी, पर अमेरिकी टेक कंपनियों के लिए इसके बिना गुज़ारा नहीं। यह एक ऐसा ज़रूरी मेहमान है जिसे आप दरवाज़े के बाहर नहीं रख सकते। एरिज़ोना में प्लांट लगाने का उसका फैसला सिर्फ व्यापार विस्तार नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक जोखिमों से बचने का एक बीमा है।
लेकिन इस कहानी का असली बादशाह तो शायद नेदरलैंड्स की कंपनी एएसएमएल है। इसके पास वो जादुई मशीनें हैं जिनके बिना दुनिया के सबसे उन्नत चिप्स बन ही नहीं सकते। निर्यात नियंत्रण वास्तव में एएसएमएल की स्थिति को और मज़बूत करते हैं, क्योंकि अब यह तय हो गया है कि इसकी सबसे अच्छी तकनीक किसे मिलेगी और किसे नहीं। मेरे अनुसार, एएसएमएल जिसे चाहेगा, वही चिप किंग बनेगा।