निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
तो सवाल यह है कि एक निवेशक के तौर पर आपको क्या देखना चाहिए. मुझे लगता है कि यह बदलाव रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कमाई के बँटवारे को पूरी तरह से बदल देगा. अब कई छोटी कंपनियों में फैले छोटे छोटे कॉन्ट्रैक्ट्स के बजाय, हमें कुछ बड़ी कंपनियों के बीच केंद्रित बड़े सौदे देखने को मिल सकते हैं.
यह एकाग्रता अवसर और जोखिम दोनों पैदा करती है. जो कंपनियाँ ये बड़े सौदे जीतेंगी, उनके राजस्व में ज़बरदस्त वृद्धि और मुनाफ़े में सुधार देखने को मिल सकता है. इन सौदों की लंबी अवधि निवेशकों को स्थिरता का भरोसा भी देती है. लेकिन जो कंपनियाँ इस नए मॉडल में ढल नहीं पाएँगी, वे शायद हाशिये पर चली जाएँगी. यह एक "विजेता सब कुछ ले जाता है" वाला बाज़ार बन सकता है.
बेशक, सरकारी सौदों में हमेशा राजनीतिक दबाव और बजट की कमी का जोखिम बना रहता है. ये सौदे हासिल करने की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है, और प्रतिस्पर्धा बहुत कड़ी होती है. इसलिए, आँख बंद करके निवेश करना समझदारी नहीं होगी. इस पूरे बदलाव को और इसके संभावित विजेताओं को समझने के लिए, The Pentagon's Software Pivot जैसी थीमैटिक बास्केट एक दिलचस्प ज़रिया हो सकती है. यह सिर्फ़ एक शुरुआत है, और आने वाले सालों में हमें सरकारी खरीद में ऐसे कई और बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं.