बिना तामझाम का व्यापार
ज़रा सोचिए. क्या हो अगर आपकी पूरी व्यावसायिक संपत्ति एक आइडिया हो, जो एक मज़बूत कानूनी दस्तावेज़ से सुरक्षित हो. आपको न तो किसी फैक्ट्री की ज़रूरत होगी और न ही डिलीवरी वैन के बेड़े की. यह बौद्धिक संपदा यानी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की रॉयल्टी की खूबसूरत दुनिया है. उदाहरण के लिए रॉयल्टी फार्मा जैसी कंपनी को देखिए. वे कोई नई दवा बनाने में एक दशक और अरबों रुपए खर्च नहीं करते. यह तो एक तरह से मूर्खों का खेल है. इसके बजाय, वे किसी और को मेहनत करने देते हैं, और फिर सही समय पर आकर भविष्य के राजस्व का एक हिस्सा खरीद लेते हैं. जब भी कोई फार्मेसी उस दवा को बेचती है, तो कुछ पैसा उनकी जेब में चला जाता है. यह कुछ ऐसा है जैसे आप किसी सुपरहिट दवा के मकानमालिक हों.
यही सिद्धांत कम गंभीर क्षेत्रों में भी लागू होता है. वार्नर म्यूज़िक ग्रुप अब रिकॉर्ड नहीं बनाता, कम से कम सीधे तौर पर तो नहीं. वे गानों के अधिकारों के मालिक हैं. हर बार जब आप अपने फ़ोन पर कोई क्लासिक गाना सुनते हैं, तो उन्हें पैसा मिलता है. गाना ही उनकी संपत्ति है, और इसे स्टोर करने में कोई खर्च नहीं आता. यह एसेट-लाइट मॉडल उन सभी व्यवसायों के लिए एक सपना है जो बढ़ती लागत और सप्लाई चेन की सिरदर्दी से जूझ रहे हैं. उनका मुनाफ़ा भौतिक दुनिया की समस्याओं से प्रभावित नहीं होता, क्योंकि उनका व्यवसाय भौतिक दुनिया में लगभग मौजूद ही नहीं है.