संकट में अवसर की तलाश
मुझे हमेशा से यह देखना दिलचस्प लगा है कि कैसे एक बड़ी कंपनी की एक ग़लती पूरे उद्योग में हलचल मचा देती है। यह कुछ ऐसा है जैसे कोई विशालकाय दानव अपने ही जूतों के फीतों में उलझकर गिर पड़े, और उसके गिरने से आस-पास के कई मकान ढह जाएँ। बोइंग 787 का हालिया संकट, जो कॉकपिट के डिज़ाइन में एक गंभीर ख़ामी से उपजा है, ठीक इसी तरह की घटना है। मेरे लिए, यह सिर्फ़ एक और बुरी ख़बर नहीं है। यह बाज़ार में एक बुनियादी बदलाव का संकेत है, और एक समझदार निवेशक के लिए, यह एक ऐसा क्षण है जिस पर ध्यान देना ज़रूरी है।
जब बोइंग जैसा दिग्गज लड़खड़ाता है, तो सवाल सिर्फ़ यह नहीं होता कि वह वापस कैसे उठेगा। असली सवाल यह है कि उसके गिरने से फ़ायदा किसे होगा? जिन एयरलाइनों ने 787 के ऑर्डर में अरबों डॉलर लगा रखे हैं, वे अब स्वाभाविक रूप से दोबारा सोचने पर मजबूर हैं। देखिए, भरोसा बनाना हवाई जहाज़ बनाने से कहीं ज़्यादा मुश्किल काम है। इस स्थिति ने बोइंग के চির प्रतिद्वंद्वी, एयरबस के लिए एक साफ़ रास्ता बना दिया है। जैसे ही एयरलाइनें भरोसेमंद विकल्पों की तलाश में हैं, एयरबस के ए330 और ए350 मॉडल पहले से कहीं ज़्यादा आकर्षक लगने लगे हैं। व्यापार कहीं ग़ायब नहीं होता, वह बस अपना पता बदल लेता है।