काले सोने का नया नक्शा
बाज़ार में हर कोई रोज़ के शोर शराबे और छोटी मोटी ख़बरों में उलझा रहता है. लेकिन मेरे अनुसार, असली खेल तो उन शांत और गहरे बदलावों में होता है जिन पर किसी का ध्यान नहीं जाता. जब ज़्यादातर लोग रोज़ की कीमतों के उतार चढ़ाव पर नज़र गड़ाए बैठे हैं, वैश्विक ऊर्जा का पूरा नक्शा ही पर्दे के पीछे बदला जा रहा है. यह बदलाव मध्य पूर्व के जाने पहचाने कोनों में नहीं, बल्कि अमेरिका और भारत के बीच फैले लंबे और शांत समुद्री मार्गों पर हो रहा है. यह कोई मामूली व्यापारिक समायोजन नहीं है. यह तेल के प्रवाह की एक ऐसी नई वायरिंग है जो बाज़ार में विजेताओं की एक नई श्रेणी बना सकती है.
भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है, जानबूझकर अपने पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम कर रहा है. यह एक क्लासिक रणनीतिक चाल है. सोचिए, कुछ पड़ोसियों पर निर्भर क्यों रहा जाए जब आप पूरी दुनिया से खरीदारी कर सकते हैं, अपनी मोलभाव की शक्ति बढ़ा सकते हैं, और भूराजनीतिक जोखिम को कम कर सकते हैं? आँकड़े काफी कुछ कहते हैं. भारत में ब्राज़ील से कच्चे तेल का निर्यात 80 प्रतिशत तक बढ़ गया है. मुझे नहीं लगता कि यह कोई अस्थायी मामला है. यह एक गंभीर और लंबी अवधि के रिश्ते की शुरुआत है.